शायरी
वक़्त तो बहता कुछ यूं चला कि अब अरमान नहीं हैं इस दिल में कोई
ख्वाब कोई आये कहां से जब जिन्दगी में तुम ही नहीं
बहुत इंतजार किया मगर अब रास्ता नहीं देखूंगी कभी
तुम थाम के सांसें वक़्त बदल देना मुझे पा सकोगे शायद तभी।
वक़्त तो बहता कुछ यूं चला कि अब अरमान नहीं हैं इस दिल में कोई
ख्वाब कोई आये कहां से जब जिन्दगी में तुम ही नहीं
बहुत इंतजार किया मगर अब रास्ता नहीं देखूंगी कभी
तुम थाम के सांसें वक़्त बदल देना मुझे पा सकोगे शायद तभी।
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